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अगर सूत्रों कि कहे तो भोपाल स्थीत एल एम माथुर नामक इस शख्श ने पिल मे कहा है की फ़िल्म के नाम मे इस्तेमाल किया गया शब्द "झंड" से माथुर समाज कि भावनाए आहत हो रही है। उस शख़्श ने फिल्म से झंड यह शब्द अलग किया जाये या तो फ़िल्म का नाम ही बदल दिया जाये यह कहा है।
इस पर बालाजी के सी इ ओ तनुज गर्ग कहते है" ऐसी कोई भी जनहीत याचिका हमारे सामने नहीं आयी है,अभी तक हमने यह सब मीडिया से ही सुना है , यह फ़िल्म का नाम सामान्य है और यह देश मे इस्तेमाल किये जाने वाले मानक से नामकरण किया गया है, फ़िल्म के इस नाम को फिल्म्स एसोसिएशन मे रजिस्टर किया गया है तथा इसे मान्यता भी दी गयी है,यह सब सुनकर काफी हैरानी हो रही है।
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